फ़ौलाद है तूँ, कर फ़तह हासिल
न ग़म कर, न हो उदास,
है ज़िंदगी का अज़ीम तोहफ़ा तेरे पास,
ख़ुदा के वास्ते न कर इसे ज़ाया,
बड़ी मुश्किलों से इंसानी चोला तूने पाया,
ज़िंदगी का प्याला जी भर के पी,
न दम घोंट अपना, तूँ खुल के जी,
ख़ुद को ख़ुदा का अक्स जान कर,
अपनी सलाहियतों पे तूँ मान कर,
ज़र्रे-ज़र्रे पे तूँ लिख अपना नाम,
तेरे इस सफ़र में मायूसिओं का क्या काम,
अपनी नायाब नेमतों पे फ़ख़्र कर,
अहसासे कमतरी में न मर,
बन जाँबाज़ सिपाही जिसे शिकस्त नहीं गँवारा,
ग़ज़ब के हौंसलों ने जिसे है संवारा,
ज़िंदगी बेशक है इक दुश्वार जंग,
सफ़ेद से ज़्यादा स्याह हैं इस के रंग,
जब भी गिरे, उठ और आगे तूँ बढ़,
याद रख चेतन है तूँ, है नहीं इक जड़,
मुग़ालतों में न पड़, न हो ग़ाफ़िल,
फ़ौलाद है तूँ, कर फ़तह हासिल…
अरुण भगत
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