कभी तो वो दिन आएगा,
जब दिल दिल की राह पाएगा,
कभी तो देखेंगे वो सहर,
ख़ुदा की जब बरसेगी मेहर,
जब मोहब्बत न होगी रुसवा,
इंसानियत का परचम लहराएगा,
जब सच का होगा राज,
और झूठ का होगा पर्दाफ़ाश,
जब इंसाफ़ की तूती बजेगी,
जब अमन की बगिया सजेगी,
जब गुस्ताखी न होगी किसी की शान में,
कमी न होगी किसी के मान में,
जब इंसानी क़दरों का लोहा गढ़ेगा,
जब सच्चे का हौंसला बढ़ेगा,
जब जंगों की न होंगी बातें,
न होंगी नफ़रत की काली रातें,
तब सब ले हाथों में हाथ,
उजालों की और बढ़ेंगे साथ-साथ,
इक नयी ख़ुशनुमा ज़िंदगी की करेंगे शुरुआत,
ख़ुशबू जिसकी महकेगी, निराली होगी जिसकी बात!
अरुण भगत
सर्वाधिकार सुरक्षित
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❣️❣️nice💯
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Thank you very much, Sapna dear! Stay blessed.
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